Saturday, 30 December 2017

What Is Brahmacharya (ब्रह्मचर्य) And How To Follow It, Tips & Benefits

ब्रह्मचर्य क्या है?
ब्रह्मचर्य क्या है? वह पुदगलसार है। हम जो आहार खाते-पीते हैं, उन सभी का सार क्या रहा? ‘ब्रह्मचर्य’! वह सार यदि आपका चला गया तो आत्मा को जिसका आधार है, वह आधार ढीला हो जाएगा। इसलिए ब्रह्मचर्य मुख्य वस्तु है। एक ओर ज्ञान हों और दूसरी ओर ब्रह्मचर्य हो तो सुख की सीमा ही नहीं रहेगी! फिर ऐसा ‘चेन्ज’ (परिवर्तन) हो जाए कि बात ही मत पूछिए! क्योंकि ब्रह्मचर्य तो पुदगलसार है।
यह सब खाते हैं, पीते हैं, उसका क्या होता होगा पेट में?
प्रश्नकर्ता : रक्त होता है।
दादाश्री : उस रक्त का फिर क्या होता है?
प्रश्नकर्ता : रक्त से वीर्य होता है।
दादाश्री : ऐसा? वीर्य को समझता है? रक्त से वीर्य होगा, उस वीर्य का फिर क्या होगा? रक्त की सात धातुएँ कहते हैं न? उनमें एक से हड्डियाँ बनती है, एक से मांस बनता है, उनमें से फिर अंत में वीर्य बनता है। आखरी दशा वीर्य होती है। वीर्य पुदगलसार कहलाता है। दूध का सार घी कहलाता है, ऐसे ही यह जो आहार ग्रहण किया उसका सार वीर्य कहलाता है।
लोकसार मोक्ष है और पुदगलसार वीर्य है। संसार की सारी चीज़ें अधोगामी हैं। वीर्य अकेला ही यदि चाहें तो ऊर्ध्वगामी हो सकता है। इसलिए वीर्य ऊर्ध्वगामी हो ऐसी भावना करनी चाहिए।

ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?
क्या आपको चोरी करना पसंद है? क्या आपको झूठ बोलना अच्छा लगता है? क्या आपको हत्या करना अच्छा लगता है? नहीं? तो फिर इस विषय में ऐसा क्या है कि आप इसें पसंद करते हैं। ये मात्र गलत मान्यता के कारण है। लोगों ने कहा इसलिए आपने विश्वास किया कि विषय में सुख है, लेकिन यह सच नहीं है।
निष्पक्षपाती रूप से सोचें कि क्या आपकी किसी भी इन्द्रिय को विषय पसंद है ? क्या आँखों को पसंद है? क्या कान इसे सुनना पसंद करते हैं? क्या जीभ को यह मीठा लगता है? नाक को तो पसंद होगा, नहीं ? किसी भी इन्द्रिय को यह पसंद नहीं है।
मनुष्यों को विषय के परिणाम और ब्रह्मचर्य से होनेवाले फायदों को समझना चाहिए। मात्र एक बार के ही विषय में, भले ही वह अपनी पत्नी के साथ हो, करोड़ों जीव मर जाते हैं। और अपने जीवन साथी कि जिन के साथ आपने शादी की है उनके अलावा किसी अन्य के साथ विषय संबंध रखने का परिणाम तो नर्क है,
जब कि ब्रह्मचर्य स्वास्थ्य और आध्यात्मिक प्रगति के लिए अत्यंत सहायक है। ब्रह्मचर्य की सही और संपूर्ण समझ अंत में मोक्ष तक ले जाती है। ब्रह्मचर्य को सही तरह से समझने के बाद ही किसी व्यक्ति को ब्रह्मचर्य के रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिलेगी और वह हर प्रकार से विषय का विरोध करेगा।
हर कोई इस बात से सहमत है कि ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, लेकिन यह करने के लिए क्या करना चाहिए?आज तक किसीने यह रास्ता नहीं दिखाया है।
इस पेज पर आपको मिलेगा ब्रह्मचर्य पालन करने का सीधा, स्पष्ट और सटीक रास्ता। अब्रह्मचर्य से होनेवाले नुक़सान और उसकी भयानकता को समझकर किसी को भी लगेगा, ‘ओह, ऐसा तो मैं जानता ही नहीं था !’
ब्रह्मचर्य के फायदे : ब्रह्मचर्य का पालन क्यों करना चाहिए?
प्रश्नकर्ता : पर ब्रह्मचर्य का पालन किस फायदे के लिए करना चाहिए?
दादाश्री : हमें यहाँ कुछ लग जाए और खून बहता हो तो फिर उसे बंद क्यों करते हैं? उससे क्या फायदा?
प्रश्नकर्ता : अधिक खून न बह जाए इसलिए।
दादाश्री : खून बह जाए तो क्या होगा?
प्रश्नकर्ता : शरीर में बहुत वीकनेस (कमज़ोरी) आ जाती है।
दादाश्री : वैसे ही अधिक अब्रह्मचर्य से भी वीकनेस आ जाती है। ये सारे रोग ही अब्रह्मचर्य की वज़ह से है। क्योंकि सारा खाना जो खाते हो, पीते हो, श्वास लेते हो, उन सभी का परिणाम आते आते उसका… जैसे इस दूध से दही बनाते हैं, वह दही आ़िखरी परिणाम नहीं हैं, दही का फिर आगे होते होते मक्खन होगा, मक्खन से घी होगा। घी आ़िखरी परिणाम है वैसे ही इसमें ब्रह्मचर्य, सारा पुद्गलसार है।
इसलिए इस संसार में दो वस्तुएँ व्यर्थ में नहीं गँवानी चाहिए। एक, लक्ष्मी और दूसरा, वीर्य। संसार की लक्ष्मी गटरों में ही जाती है। इसलिए लक्ष्मी खुद के लिए खर्च नहीं करनी चाहिए, उसका बिना वज़ह दुरूपयोग नहीं होना चाहिए और यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। जो खाना खाते हैं, उसका अर्क होकर अंत में अब्रह्मचर्य के कारण खतम हो जाता है। इस शरीर में कुछ खास नसें होती है, जो वीर्य को संभालती है और वह वीर्र्य इस शरीर को संभालता है। इसलिए हो सके वहाँ तक ब्रह्मचर्य का ध्यान रखना चाहिए।
प्रश्नकर्ता : पर अभी मेरी समझ में यह बात नहीं आती कि मनुष्य को ब्रह्मचर्य किस लिए पालना चाहिए?
दादाश्री : तो फिर उसे लेट गो करो आप। ब्रह्मचर्य मत पालना। मैं कुछ ऐसे मत का नहीं हूँ। मैं तो इन लोगों से कहता हूँ कि ब्याह कर लो। कोई शादी करे उसमें मुझे हर्ज नहीं हैं।
मैं अपनी बात आपसे मनवाना नहीं चाहता। आपको खुद को अपनी ही समझ में आना चाहिए। ब्रह्मचर्य नहीं पाल सकें यह बात अलग है, पर ब्रह्मचर्य के विरोधी तो नहीं ही होना चाहिए। ब्रह्मचर्य तो (मोक्ष में जाने के लिए – आत्मसाधना का) सबसे बड़ा साधन है।
ऐसा है न, जिसे सांसारिक सुखों की ज़रूरत है, भौतिक सुखों की जिसे इच्छा हैं, उसे शादी कर लेनी चाहिए। सब कुछ करना चाहिए और जिसे भौतिक सुख पसंद ही नहीं हों और सनातन सुख चाहिए, उसे शादी नहीं करनी चाहिए।

SOURCE : http://download.dadabhagwan.org/books/Hindi/PDF/brahmcharya_hindi.pdf

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